1. भगवान बनेंगे
नियम : इस गेम में निर्देशक सभी छात्रों को भगवान बनाकर बैठा देगा अथवा खड़ा कर देगा और गायेगा जिसे सारे छात्र दोहराएंगे परन्तु जब निर्देशक बोलेगा मै तो आनन्द का…………….. आनन्द का……. आनन्द का धाम तब सभी छात्र भगवान बनकर बैठ जायेंगे |
निर्देशक गायेगा मुझ में राग नहीं
मुझ में द्वेष नहीँ
मै तो शुद्ध त्रिकाली परमात्मा
मै तो आनन्द का…………….. आनन्द का……. आनन्द का धाम
मै मोटा नहीं,मै पतला नहीं…..
मै तो शुद्ध त्रिकाली परमात्मा
मै तो आनन्द का…………….. आनन्द का……. आनन्द का धाम
इस प्रकार निर्देशक मै कैसा हूँ और कैसा नहीं हूँ इसका स्वरुप बताते हुए भगवान का स्वरुप छात्रों को बताएगा कि भगवान कैसे होते हैं |
बीच बीच में उन पर उपसर्ग भी करेगा जो छात्र सबसे अच्छा भगवान बनेगा उसे पुरस्कृत किया जायेगा |
2 . शब्दों की चैन
नियम –
१. अध्यापक पाठशाला के बच्चों को कोई जिन धर्म का शब्द देकर गेम प्रारंभ करेगा |
२. अध्यापक प्रत्येक बालक का लग -अलग या ग्रुप बनाकर भी यह गेम करा सकता है |
३. सबको अपना -अपना या फिर समूह में आपको जो शब्द दिया गया है उसका अंतिम अक्षर से अगला शब्द बनाना है |
४. इसी क्रम में जो सबसे ज्यादा और शुद्ध शब्द लिखेगा वह बालक या समूह विजेता कहा जाएगा |
५. अध्यापक को ध्यान देना चाहिए की बालक जैन धर्म के सही शब्दों को लिखना सीख सके |
3. शब्द अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता
- यह प्रतियोगिता पूर्णतः भाग या कोई एक पुस्तक के शब्दों पर आधारित होगी |
- इस प्रतियोगिता को अनेकों चक्रों में विभाजित करके प्रस्तुत किया जा सकता है – जैसे – १. अर्थ बताकर शब्द पूंछना २. परिभाषा बताकर शब्द पूंछना | ३. शब्द बताकर अर्थ पूंछना | ४. वाक्य पूरा करने के लिए आधा वाक्य किसी परिभाषा का देना | ५. एक ही अक्षर से प्रारंभ होने वाले शब्दों को पुस्तक से छांटकर लिखने देना |६. पर्यायवाची या विलोम शब्द बताकर उसका जो शब्द पुस्तक में आया है वह बताने के लिए कहना |
4. पोस्टमैन जल्दी करो
- जिन तीर्थों के नाम याद कराने के लिए यह प्रतियोगिता अत्यंत लाभप्रद है |
- इस प्रतियोगिता में बच्चों के नाम की पर्ची निकाली जाती है जिसकी पर्ची निकलेगी वह दाम देने के लिए जाएगा |
- दाम देनी जाने के पूर्व अध्यापक द्वारा जितने बच्चे गेम खेल रहे हैं उनके नाम बदलकर किसी तीर्थ का नाम दिया जाता है जैसे – सोनागिरी , द्रोणागिरी, पपौरा जी , सम्मेदशिखर जी, पालिताना जी, कुण्डलपुर जी |
- अध्यापक दाम देने वाले बच्चे से कहता है की यह पोस्ट उस तीर्थ पर पहुँचाओ | ध्यान रहे अध्यापक को सभी तीर्थों के नाम बालकों के मध्य दो-तीन बार पुनरावृत्ति कराना चाहिए | जिससे सभी को नाम याद हो जाएँ |
- अब जब दाम देने के लिए पर्ची द्वारा चयनित बालक आता है तो सभी बालक उसे जोर जोर से बोलते हैं कि पोस्ट मैं जल्दी करो ?
- दाम वाला बालक आकर सही तीर्थ पर यदि जाता है तो वह तीर्थ के सामने जाकर बैठ जाएगा और फिर अगली पर्ची निकाली जायेगी | यदि वह गलत तीर्थ पर जाता है तो वह खेल से बाहर हो जाएगा और दूसरी पर्ची द्वारा अगले बालक अवसर दिया जायेग |
- अध्यापक इसमें अपनी सुविधानुसार अंतिम कितने भी बालकों को पुरस्कार दे सकता है |
5.क्या खोया क्या पाया ?
परिचय – यह गेम पाठशाला की परिक्षा के लिए पुनरावृत्ति के रूप में है इस गेम में सभी कक्षाओं के बालकों को अपनी अपनी कक्षा के समूह में बैठाया जाता है | ध्यान रहे बालक और बालिकाओं को अलग समूह में बैठाया जाना चाहिए | जिससे यह भी पता लगाया जा सकता है कि लडकों की पढ़ाई अच्छी चल रही है या लड़कियों की | इसमें अध्यापक हर कक्षा के पाठ्यक्रम के अनुसार प्रश्न निर्माण करता है जो की सामूहिक पूंछता है और मार्किंग करता है | यदि कोई समूह किसी भी समूह को बताता है तो अध्यापक उनकी माइनस मार्किंग कर सकता है | एक चक्र में एक ही प्रश्न पूंछना चाहिए और प्रयास किया जाना चाहिए कि एक बालक एक ही बार उत्तर देवे | इसे हम कई चक्रों में आयोजित कर सकते हैं – १. अलग अलग पाठ के लिए १ -१ मिनट का वहीं रिवीजन का समय देकर |की अब इस पाठ से प्रश्न पूंछे जायेगे सभी एक मिनट में अपनी पुनरावृत्ति कर लेवें | फिर उसी से प्रश्न पूंछना चाहिए |
२. जिस बालक को ध्यापक पूंछेगा सिर्फ वही बालक उत्तर दे सकेगा |३. प्रश्न दुसरे किसी समूह से पुंछवाकर और उत्तर किसी दुसरे समूह दिलवाकर |४. एक शब्द में उत्तर पूंछ्कर ५. पूरी परिभाषा पूंछ्कर ६. कोई भी बालक उत्तर दे सके एसा प्रश्न पूंछ्कर ( ध्यान रहे की जिस बालक ने एक बार किसी भी प्रकार से उत्तर दे दिया है उसे अवसर ना दिया जाए) |
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